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Diabetes Symptoms : डायबिटीज़ के लक्षण, कारण और योगासन जो डायबिटीज़ में आपको बहुत मददगार होंगे |

 Diabetes Symptoms : डायबिटीज़ के लक्षण, कारण और योगासन जो डायबिटीज़ में आपको बहुत मददगार होंगे |

डायबिटीज़ क्या है?

जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुँचना  कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह या शुगर  कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। डायबिटीज़ हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है।

डायबिटीज़ के प्रमुख लक्षण

  1. वजन में कमी आना।
  2. अधिक भूख प्‍यास व मूत्र त्याग |
  3. थकान, पिडंलियो में दर्द।
  4. बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना।
  5. हाथ पैरो में झुनझुनाहट, सुन्नपन और जलन रहना।
  6. नपुंसकता।
कुछ लोगों में डायबिटीज़ अधिक होने की संभावना रहती है,  जैसे-मोटे व्‍यक्तियों  या जिनके परिवार या वंश में किसी को डायबिटीज़ रही हो, उच्‍च रक्‍तचाप के रोगियों और शारीरिक श्रम न करने वालों में इसका खतरा अधिक रहता है। ऐसा देखा जाता है कि शहरी व्‍यक्तियों को ग्रामीणो की अपेक्षा मधुमेह रोग होने की अधिक संभावना रहती है।

डायबिटीज़ के कारण 


यदि आप डायबिटीज़ (मधुमेह या शुगर) की बीमारी से ग्रस्त हैं तो उसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि सही समय पर व्यायाम न करना, गलत भोजन करना। आजकल की तनावग्रस्त आधुनिक जीवनशैली इस समस्या को और अधिक जटिल कर देती है। इस समस्या का निवारण करने हेतु आपको आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाना भी अति आवश्यक है।

शुगर की समस्या को पूर्णतः ठीक करने के लिए अपनी जीवन शैली में योगासन, प्राणायाम व ध्यान को जोड़ना शानदार उपाय है। इन विशेष योग क्रियाओं को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाएँ और मधुमेह से आसानी से निपटें।

अच्छे परिणाम प्राप्त करने हेतु आपको योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा। इसके लिए आपको निरंतर अनुशासन में रहना होगा। आप ये योगासन सुबह अथवा शाम, जो भी समय आपको ठीक लगता है, उस समय कर सकते हैं। जो भी समय आपने अपने योगासन करने के लिए निर्धारित किया है, उसके प्रति अनुशासित रहें। आप कुछ ही समय में बहुत अच्छे परिणाम देखेंगे।

मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए करें ये योगासन, रहेंगे स्वस्थ 


  1. सुप्त मत्स्येन्द्रासन
  2. धनुरासन
  3. पश्चिमोत्तानासन
  4. अर्धमत्स्येन्द्रासन
  5. शवासन


1. कपालभाति प्राणायाम


यह एक शक्ति से परिपूर्ण (श्वाँस के द्वारा किये जाने वाला) प्राणायाम है, जो आपका वज़न कम करने में मदद करता है और आपके पूरे शरीर को संतुलित कर देता है।

कपालभाति प्राणायाम आपके तंत्र तंत्रिकाओं और मस्तिष्क की नसों को ऊर्जा प्रदान करता हैं। यह प्राणायाम डायबिटीज़ के रोगियों  के लिए बहुत अच्छा हैं क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है। यह प्राणायाम रक्त परिसंचरण को सुधारता है व मन को भी शांति प्रदान करता है|


कपालभाति प्राणायाम करने की विधि 


  • अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ। अपने हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटनों पर रखें।
  • एक लंबी गहरी साँस अंदर लें।
  • साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे। अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें। पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पेट पर हाथ रख कर महसूस कर सकते हैं। नाभि को अंदर की ओर खींचे।
  • जैसे ही आप पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हो, साँस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुँच जाती है।
  • कपालभाति प्राणायाम के एक क्रम (राउंड) को पूरा करने के लिए 20 साँस छोड़े।
  • एक राउंड खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें और अपनी आँखों को बंद कर लें। अपने शरीर में प्राणायाम से प्रकट हुई उत्तेजना को महसूस करें।
  • कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम (राउंड) को पूरा करें।

नुस्खें जो आप कपालभाति प्राणायाम करते समय उपयोग कर सकते है


  • कपालभाति प्राणायाम करते समय, ज़ोर से साँस को बाहर छोड़ें। ताकत के साथ साँस को बाहर की ओर फेंके।
  • साँस लेने के लिए अधिक चिंता न करें। आप जैसे ही अपने पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, आप अपने आप ही साँस लेने लग जाते हैं।
  • अपना ध्यान बाहर जाती हुई साँस पर रखें।
  • इस प्राणायाम की प्रक्रिया को किसी भी ऑफ़ लिविंग योग प्रशिक्षक से सीखें और फिर अपने घर पर इसका अभ्यास खाली पेट पर करें।

कपालभाति प्राणायाम के 8 लाभ 


  • यह चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाता है और वज़न कम करने में मदद करता है।
  • नाड़ियों का शुद्धिकरण करता है।
  • पेट की मासपेशियों को सक्रिय करता है जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  • [रक्त परिसंचरण को ठीक करता है] और चेहरे पर चमक बढ़ाता है।
  • पाचन क्रिया को अच्छा करता है और पोषक तत्वों का शरीर में संचरण करता है।
  • आपकी पेट कि चर्भी फलस्वरूप अपने-आप काम हो जाती है।
  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जान्वित करता है ।
  • मन को शांत करता है।

कपालभाति प्राणायाम करते समय क्या नही करना चाहिए?


  • यदि आप हर्निया, मिर्गी, स्लिप डिस्क, कमर दर्द, अथवा स्टेंट के मरीज़ हैं तो यह प्राणायाम न करें। यदि आपकी कुछ समय पूर्व पेट की सर्जरी हुई है तब भी यह प्राणायाम न करें।
  • महिलाओं को यह प्राणायाम गर्भावस्था के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद नही करना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान भी यह प्राणायाम नही करना चाहिए।
  • हाइपरटेंशन के मरीजों को यह प्राणायाम किसी योग प्रशिक्षण के नेतृत्व में ही करना चाहिए।



2. सुप्त मत्स्येन्द्रासन


सुप्त मत्सेन्द्रयासन शरीर के अंदरूनी अंगों  की मालिश करता है व पाचन क्रिया में सहायता करता है। यह आसन पेट के अंगो को सक्रिय करता है और डायबिटीज़ या मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत अच्छा होता है।

 

सुपाइन स्पाइनल ट्विस्ट - सुप्त मत्स्येन्द्रासन (सूप-ताह-मोट्स-येन-ड्रएए-सन-एए) - एक रीस्टोरेटिव स्पाइनल ट्विस्ट है, जो आंतरिक अंगों को डिटॉक्सीफाई करते हुए रीढ़ को लंबा और मजबूत करता है। सुप्त मत्स्येन्द्रासन एक सौम्य आसन है जो रीढ़, कंधे, पीठ, जांघों और गर्दन को फैलाता है और शरीर के आराम करते समय आंतरिक विषहरण प्रक्रियाओं को उत्तेजित करता है। सुप्त नटराजासन के नियमित अभ्यास से पीठ के निचले हिस्से के दर्द और कंधों की जकड़न से राहत मिल सकती है। इस मुद्रा का नाम संस्कृत के शब्दों से लिया गया है, सुप्त , जिसका अर्थ है लापरवाह या झुका हुआ, मत्स्य , जिसका अर्थ है मछली, इंद्र , जिसका अर्थ है शासक, और आसन , जिसका अर्थ है मुद्रा।

चरण-दर-चरण निर्देश

  1. अपनी बाहों को कंधों की सीध में क्षैतिज रूप से फैलाकर अपनी पीठ के बल लेटें।
  2. अपने बाएं पैर को अपने सामने फैलाएं और अपने दाहिने घुटने को मोड़कर अपनी छाती से लगा लें।
  3. साँस लें, और साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने दाहिने घुटने को अपनी मध्य रेखा के ऊपर से पार करें और अपने शरीर के बाईं ओर फर्श पर रखें। अपने सिर को दाहिनी ओर घुमाएं और अपनी दाहिनी हथेली को देखें।
  4. सुनिश्चित करें कि आपके दोनों कंधे के ब्लेड जमीन को छू रहे हैं, भले ही इसका मतलब है कि आपका घुटना पूरी तरह से फर्श को नहीं छूता है। घुमाते समय, कंधे के एक ब्लेड के जमीन से ऊपर उठने की प्रवृत्ति होती है।
  5. इस मुद्रा में रहते हुए अपनी जांघों, कमर, बांहों, गर्दन, पेट और पीठ में खिंचाव महसूस करें। प्रत्येक साँस छोड़ने के साथ, मुद्रा में गहराई से आराम करें।
  6. कई मिनट तक रुकें.
  7. धीरे-धीरे अपने सिर को वापस केंद्र की ओर घुमाएं और अपने धड़ और पैरों को सीधा करें।
  8. अपनी बाईं ओर मुद्रा को दोहराएं। 

फ़ायदे

  • रीढ़ और क्वाड्रिसेप्स को स्ट्रेच करता है
  • पीठ और कूल्हों की मालिश करता है
  • रीढ़ की हड्डी को लंबा, मजबूत और पुन: व्यवस्थित करता है
  • आंतरिक अंगों में ताज़ा रक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करता है
  • पाचन में सुधार करता है
  • गहरा आराम प्रदान करता है

सावधानियां

  • रीढ़ की हड्डी, घुटने या कूल्हे में चोट

3. धनुरासन


यह आसन अग्नाशय (pancreas) को सक्रिय करता है और शुगर के मरीजों के लिए अत्यधिक लाभदायक है। यह योगासन पेट के अंगो को मज़बूत बनाता है और तनाव से मुक्ति देता है।


धनुरासन करने का तरीका | How to do Dhanurasana


  • पेट के बल लेटकर, पैरो मे नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
  • घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएँ और घुटिका को हाथों से पकड़ें।
  • श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएँ और पैरों को कमर की ओर खींचें।
  • चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
  • श्वासोश्वास पर ध्यान रखे हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ हैl
  • लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, आसन में विश्राम करें।
  • सावधानी बरतें आसन आपकी क्षमता के अनुसार ही करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को ना कसें।
  • १५-२० सैकन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे धीरे ज़मीन पर वापस लाएँl घुटिका को छोड़ेते हुए विश्राम करें।

धनुरासन के लाभ | Benefits of Dhanurasana


  • पीठ / रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना।
  • जननांग संतुलित रखना।
  • छाती, गर्दन और कंधोँ की जकड़न दूर करना।
  • हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि देना।
  • रीढ़ की हड्डी क़ो लचीला बनाना।
  • तनाव और थकान से निजाद।
  • मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।
  • गुर्दे के कार्य में सुव्यवस्था।

धनुरासन के अंतर्विरोध | Contraindications of Dhanurasana


  • यदि आप को उच्च या निम्न रक्तदाब, हर्निया, कमर दर्द, सिर दर्द, माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द), गर्दन में चोट/क्षति, या हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो आप कृपया धनुरासन ना आजमाएँ ।
  • गर्भवती महिलाएँ धनुरासन का अभ्यास ना करें।

4.पश्चिमोत्तानासन


यह आसन पेट व श्रोणि के अंगो को सक्रिय करता है जो कि शुगर या डायबिटीज़ के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है। पश्चिमोत्तानासन शरीर में प्राण ऊर्जा को बढ़ाता है और मन को शांति प्रदान करता है।


पश्चिमोत्तानासन करने की प्रक्रिया |Paschimottanasana steps in Hindi 


  1. पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे,अंगुलियां तनी हुई।
  2. साँस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएँ और खींचे।
  3. साँस छोड़ते हुए,कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें, ठुड्डी पंजों की ओर, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए,घुटनो पर झुकने की बजाय अपना ध्यान पंजों की ओर बढ़ने पर केंद्रित करें।
  4. अपने हाथों को पैरों पर रखें,जहाँ भी वो पहुँचते हों,बिना अतिरिक्त प्रयास के। यदि आप अपने पंजो को पकड़कर खींच सके तो आपको आगे झुकने में मदद मिलेगी।
  5. साँस भरते हुए धीरे से सिर को उठाएँ ताकि रीढ़ की हड्डी में खीचाव पैदा हो जाए।
  6. साँस छोड़ते हुए हल्के से नाभि को घुटने की 
    ओर ले जाएँ।
  7. प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएँ।
  8. सिर को नीचे झुका ले और 20-60 सेकंड तक गहरी साँस ले।
  9. हाथों को सामने की ओर फैलाएँ।
  10. साँस भरते हुए अपने हाथों की ताकत से वापस आते हुए आराम से बैठ जाएँ।
  11. साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएँ।


पश्चिमोत्तानासन के लाभ |Benefits of Paschimottanasana in Hindi


  1. पीठ के निचले,जांघो व् कूल्हों की मांसपेशियों का व्यायाम इस आसान द्वारा हो जाता है।
  2. उदर व् निचले उदर के अंगों की मालिश इस आसन द्वारा हो जाती है।
  3. कन्धों का व्यायाम।


5. अर्धमत्स्येन्द्रासन


यह आसन पेट के अंगो की मालिश करता है व फेफेड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। अर्धमत्स्येन्द्रासन रीढ़ की हड्डी को भी मज़बूत बनाता है। इस योगासन को करने से मन शांत होता है व रीढ़ की हड्डी के हिस्से में रक्त संचालित हो जाता है।


अर्धमत्स्येन्द्रासन करने की प्रक्रिया |How to do Ardha Matsyendrasana

  1. पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ, दोनों पैरों को साथ में रखें,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
  2. बाएँ पैर को मोड़ें और बाएँ पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें (या आप बाएँ पैर को सीधा भी रख सकते हैं)|
  3. दाहिने पैर को बाएँ घुटने के ऊपर से सामने रखें।
  4.  बाएँ हाथ को दाहिने घुटने पर रखें और दाहिना हाथ पीछे रखें।
  5. कमर, कन्धों व् गर्दन को दाहिनी तरफ से मोड़ते हुए दाहिने कंधे के ऊपर से देखें।
  6. रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
  7. इसी अवस्था को बनाए रखें ,लंबी , गहरी साधारण साँस लेते रहें।
  8. साँस छोड़ते हुए, पहले दाहिने हाथ को ढीला छोड़े,फिर कमर,फिर छाती और अंत में गर्दन को। आराम से सीधे बैठ जाएँ।
  9. दूसरी तरफ से प्रक्रिया को दोहराएँ।
  10. साँस छोड़ते हुए सामने की ओर वापस आ जाएँ|

अर्धमत्स्येन्द्रासन के लाभ| Benefits of the Ardha Matsyendrasana


  1. मेरुदंड को मजबूती मिलती है।
  2. मेरुदंड का लचीलापन बढ़ता है।
  3. छाती को फ़ैलाने से फेफड़ो को ऑक्सीजन ठीक मात्रा में मिलती है|




6. शवासन


शवासन पूरे शरीर को विश्राम देता है। यह आसन व्यक्ति को गहरे ध्यान की अवस्था में ले जाता है जिससे मन शांत व नवीन ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है।

शवासन करने की प्रक्रिया | How to do Savasana


  • बिना तकिये या किसी भी वस्तु का सहारा लिए पीठ के बल लेट जाएँ। यदि आवश्यकता हो तो अपनी गर्दन के नीचे एक छोटा तकिया लगा सकते हैं। आँखें बंद कर लें ।
  • अपने पैरों को आराम से फैला लें और अपने घुटनों व पंजे को पूर्ण विश्राम दे। दोनों पैरों की उँगलियाँ एक दुसरे के विमुख होनी चाहिए।
  • अपने हाथों को शरीर के साथ रखें परंतु वे आपके शरीर को न छुएँ। हथेलियाँ आसमान की ओर फैली हुई।
  • अपना ध्यान शरीर के हर अंग पर धीरे-धीरे लेकर जाएँ और अपने पूरे शरीर को विश्राम दे।
  • अपना ध्यान दाहिने पंजे पर ले जाएँ, और फिर दाहिने घुटने पर ले जाएँ( इस प्रकार पूरे दाहिने पैर पर अपना ध्यान ले जाएँ और उसके पश्चात बहिनी पैर पर अपना ध्यान ले जाएँ), धीरे-धीरे शरीर के हर एक अंग को विश्राम देते हुए सिर पर अपना ध्यान ले जाएँ।
  • धीमी और गहरी साँसे ले और हर साँस लेते हुए विश्राम करें। अंदर आती हुई हर साँस आपको ऊर्जा देती है और बाहर जाती हुई हर साँस आपको विश्राम देती है। अपने मन में उठ रही उत्तेजना, शीघ्रता, अथवा किसी भी चीज़ पर ध्यान न दे। सिर्फ अपने शरीर और मन के साथ रहे। अपने पूरे शरीर को धरती पर समर्पित कर दे और विश्राम करें। ध्यान दे के आप यह आसन करते हुए सो न जाएं।
  • १०-२० मिनट के बाद, जब आप पूर्णतः विश्राम की स्थिति में पहुँच जाएँ तब अपनी आँखें बंद रखते हुए अपनी दाहिनी ओर करवट लें। उस स्थिति में १ मिनट तक रहे। अपने दाहिने हाथ का सहारा लेते हुए उठ कर बैठ जाएँ।
  • अपनी आँखों को बंद रखते हुए कुछ लंबी गहरी साँसे ले और धीरे से अपना ध्यान वापस अपने वातावरण और शरीर की ओर लेकर आएँ। जब आप पूर्णता का अनुभव करें तो अपनी आँखें धीरे से खोल सकते हैं।

शवासन के लाभ | Benefits of Shavasana


  • शवासन करने से व्यक्ति एक गहरी ध्यान की स्थिति में पहुँच जाता है जो शरीर को तनाव से मुक्त करती है और कोशिकाओं को पूर्णतः ठीक करती हैं। योगाभयास के पश्चात शवासन करने से आप गहरे ध्यान की स्थिति में जा सकते है।
  • आसन के अभ्यास से आपका शरीर पुनः ऊर्जा से भर जाता है। यह पूर्ण योगाभ्यास के क्रम को खत्म करने के लिए सबसे उत्तम आसन है, मुख्यतः जब आपने योगासन तेज़ गति से किया हो।
  • आसन नीचे रक्त-चाप, इंसोम्निया, और एंग्जायटी के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
  • आसन शरीर को स्थिर करने के लिए सबसे उत्तम आसन है और वात दोश को शरीर में ठीक करता है।

शवासन के अंतर्विरोध | Contradictions of Shavasana|


शवासन को करने के कोई भी अंतर्विरोध नही हैं। यदि आपको किसी डॉक्टर ने ज़मीन पर सीधा लेटने के लिए मना किया हो तो यह आसन न करें।



डायबिटीज़ को गहराई से समझने के लिए "मुक्त मूलकों" ('free radicals) के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। 'मुक्त मूलक' अणु तत्त्व होते हैं जो नेगेटिव चार्ज रहते हैं और जो हमारे वातावरण में कुछ समय के लिए (नैनो सेकंड) मौजूद होते हैं। अपने ऊपर नेगेटिव चार्ज होने के करण यह जल्दी से जल्दी अपना निराकरण (neutralization) करवाना चाहते हैं। हमारा शरीर जीवाणुओं  से लड़ने के लिए इन 'मुक्त मूलकों' का सहारा लेता है। शरीर में 'मुक्त मूलकों' का निवाकरण होना  आवश्यक है और उसके लिए हमारा शरीर एंटीऑक्सिडेंट्स की सहायता लेता है। हमारे शरीर में तीन एंटीऑक्सिडेंट्स तत्त्व- ग्लूटाथिओन, कैटालासे और एस.ओ.डी. (S.O.D) होना बहुत आवश्यक होता है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स तत्त्व विटामिन-सी, विटामिन-ई  व कुछ मिनरल द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं।

 

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