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चंद्रयान -3 ने भरी उड़ान...


 भारतक मून मिशन चंद्रयान -3 इतिहास रचाने की राह पर निकल पड़ा है ।चाँद के माथे पर तिलक लगाने के लिए आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र  से शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे chandrayaan-3 को सफलतापूर्वक छोड़ा गया । इसकी 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतारने की संभावना है। लैंडर की सफल लैंडिंग से भारत न सिर्फ इतिहास रचेगा बल्कि अमेरिका रूस और चीन के साथ ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा । इतिहास इस लिहाज से भी रहेगा क्योंकि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा ।

Chandrayaan-3 को भारी-भरकम LVM3-M4 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया... परीक्षण के 16:15 बाद राकेट ने पृथ्वी से 169 किलोमीटर ऊपर chandrayaan-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया।

आगे की यात्रा ...chandrayaan-2 अब खुद करेगा जिसके लिए उसमें मॉड्यूल लगाया गया है।

बाहुबली रॉकेट LVM3-M4 को पहले GSLV MK-3 के नाम से जाना जाता था..... इसी से जुलाई 22 2019 को चंद्रयान-2 छोड़ा था जिसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में विफल रहा था और लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था।

41 दिन का रोमांच सफर 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण ।

4:15 मिनट बाद पृथ्वी से 179 किमी ऊपर पृथ्वी की कक्षा में पहुचा

 23 अगस्त शाम 5:47 बजे दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की संभावना

सफल परीक्षण के बाद chandrayaan-3 को 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी करने में करीब 41 दिन लगेंगे। इस दौरान वह पृथ्वी के पांच चक्कर लगाएगा । सुरुआत छोटे चक्कर से होंगी और फिर उसका आकार बढ़ता जाएगा 5 चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान 3 चंद्रमा की 100 × 100 की कक्षा में प्रवेश करेगा । यहां पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे। 

प्रोपल्शन से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा ।

लैंडर का वजन करीब 1724 किलोग्राम है उसमें रोवर प्रज्ञान भी है जिसका वजन 26 किग्रा है।


विक्रम में चार और प्रज्ञान में दो पेलोड यानी मशीन है सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम से रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेगा।

दोनों के पेलोड चंद्रमा की सतह पर कई अध्ययन करेंगे ।पानी व  खनिज की मौजूदगी के साथ यह भी पता लगाएंगे कि क्या कभी वहां भूकंप भी आया है।

अलग होने के बाद भी विक्रम वह प्रज्ञान परस्पर संपर्क में रहेंगे । प्रज्ञान सूचना एकत्र कर विक्रम को भेजेगा विक्रम उसे पृथ्वी पर इसरो के नियंत्रण कक्ष तक पहुंचाएगा ।

मैजिनस-यू केटर पर उतरने की तैयारी....

भारत महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान 3 लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैजिनस-यू क्रेटर के पास उतारेगा ।

दक्षिण ध्रुव के ज्यादातर क्षेत्रों में अरबों साल से सूर्य की एक किरण तक नहीं पहुंची है और यह बहुत ही ठंडा है यहां तापमान माइनस 248 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

 यहां यान सफलतापूर्वक उतारन बड़ी चुनौती है । पिछले विफलता से सबक लेते हुए इस बार इसरो ने लैंडिंग साइट के आकार को बहुत बड़ा (4 किमी ×2.5 किमी ) कर दिया है। chandrayaan-2 की लैंडिंग साइड का आकार 500×500 मीटर था । 


chandrayaan-3 के आर्बिटर के कैमरे विक्रम पर नजर रखेंगे इसी आर्बिटर ने लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है।

Chandrayaan-2 के विपरीत इस बार लैंडिंग की निगरानी इसरो खुद रख रहा है। chandrayaan-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग को नासा के मैड्रिड स्टेशन से ट्रैक किया गया था लेकिन इस बार लांचिंग  से लेकर लैंडिंग तक की निगरानी बैंगलुरु स्थिति इसरो टेलीमेट्री  ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क स्टेशन के जरिए की जा रही है । हालांकि इस बीच राकेट और चंद्रयान के अलग होने के चरण को ब्रूनेई व बियाक से किया गया ।

LVM3 क्या है

LVM-3 इसरो का एक राकेट है जिसे बाहुबली के नाम से जाना जाता है जो 43.5 मीटर लंबे और करीब 640 टन वजनी LVM-3 राकेट को इसरो का बाहुबली ( फैट बॉय) कहा जाता है । chandrayaan-3 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में छोड़ने के साथ ही यह सभी अभियानों में सफल साबित हुआ है । यह भारत का सबसे ताकतवर राकेट है ।यह करीब 10 टन के पहलुओं पृथ्वी की निचली कक्षाओं ( 200 किमी की ऊँचाई ) तक ले जा सकता है और करीब 4 टन के पेलोड उच्च शिक्षा याजियों ट्रांसफर आर्बिट तक ले जाने में सक्षम है । यह तीन स्टेज राकेट है इसरो इसमें दो ठोस ईंधन बूस्टर और एक तरल ईंधन बूस्टर लगा है।




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